हम तो अपनों से ज्यादा लोगो से प्यार करते हैं !
फिर क्यों वही लोग मेरे प्यार को ठुकरा जाते हैं !!
जिन्हें हम अपने दिल में सदा रखना चाहते है !
वही क्यों औरो के खातिर मेरा दिल तोर जाते हैं !!
जब कोई मतलब होता है, तभी क्यों सब गीता को याद किया करते हैं !
जब खुद का मतलब निकल जाता है, तो सब लोग क्यों बेगाने बन जाते हैं !!
हम अपनों से ज्यादा इस दुनिया के लोगो पर भरोशा करते है !
फिर क्यों दुनिया वाले मेरा भरोशा तोर जाते हैं !!
गीता तो उल्फत में अपना सब कुछ लुटा देह्देती है !
फिर क्यों लोग गीता के उल्फत को समझ नहीं पाते है !!
हम तो अपनों से ज्यादा लोगो से प्यार करते हैं !
फिर क्यों वही लोग मेरे प्यार को ठुकरा जाते हैं !!
हमलोग यदि बीते हुए कल को याद करे, तो कुछ ऐसे यादे याद आ जाती है
जिसे हम चाह कर भी किसी के सामने कह नहीं पाते, कुछ वैसे ही यादो को
संयोने के लिए ये बाते कही है हम तो अपनों से ज्यादा लोगो से प्यार करते हैं
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